नई दिल्ली. डिजिटल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के नियमों के अनुपालन को लेकर सख्त केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज पब्लिश करने वाले अखबारों, टीवी चैनलों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से जानकारी मांगी है. इस बाबत सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक नोटिस में कहा गया है कि नियम लागू के 15 दिन के भीतर संबंधित मांगी गई सूचनाएं सरकार के साथ शेयर करें. बता दें सरकार ने नए डिजिटल नियमों में 3 श्रेणियां बनाई गई हैं.
पहली कैटेगरी में अखबार या टीवी के लिए है जो डिजिटल मीडिया पर भी खबर प्रकाशित करते हैं वहीं दूसरी कैटेगरी उनकी है जो सिर्फ डिजिटल रूप से खबरों को प्रकाशित करते हैं. वहीं तीसरी श्रेणी के की बात करें तो इसमें ओटीटी प्लेटफार्म्स शामिल हैं.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पहली कैटेगरी के प्रकाशकों से यूआरएल, भाषा, ऐप, सोशल मीडिया अकाउंट, टीवी चैनल संचालित करने संबंधी अनुमति और या भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक द्वारा जारी नंबर (आरएनआई नंबर), कॉन्टैक्ट सूचना और शिकायत निवारण के सिस्टम के बारे में जानकारी देनी होगी. वहीं दूसरी श्रेणी भी पहली कैटेगरी जैसी ही जानकारियां मांगी गई है लेकिन इसमें CIN यानी कंपनी आइडेंटिफिकेशन नंबर की मांग की गई है. इसमें कहा गया है कि अगर संबंधित जानकारी दे रही संस्था कंपनी है तो वह निदेशक मंडल की भी जानकारी दे.
तीसरी श्रेणी यानी ओटीटी प्लेटफार्म्स के लिए नाम पता, यूआरएल, ऐप समेत अन्य जानकारी पूछी गई है. अगर ओटीटी प्लेटफार्म विदेशी है तो उन्हें देश की जानकारी देनी होगी साथ ही यह भी बताना होगा कि उन्होंने किस दिन से भारत में काम शुरू किया. इसके साथ ही उन्हें इस बारे में जानकारी देनी होगी जिसमें कंटेंट मैनेजर की जानकारी भी देनी होगी.
समाचार प्रसारकों ने नये आईटी नियमों से छूट की मांग की
उधर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने सरकार से पारंपरिक टेलीविजन समाचार मीडिया और डिजिटल समाचार प्लेटफार्म पर इसकी विस्तारित उपस्थिति को आईटी नियम 2021 के दायरे से ‘छूट देने और बाहर’ रखने का आग्रह करते हुए कहा कि वह पहले से ही विभिन्न व्यवस्थाओं, कानूनों, दिशानिर्देशों और नियम एवं विनियमनों द्वारा ‘पर्याप्त रूप से विनियमित’ है.
एनबीए ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में अपनी चिंताओं का उल्लेख करते हुए कहा, ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी अधिनियम, 2000) ने डिजिटल समाचार मीडिया के नियमन पर विचार नहीं किया था. इसके बावजूद, आईटी नियम, 2021 में अन्य के साथ-साथ पारंपरिक समाचार मीडिया यानी इलेक्ट्रॉनिक टेलीविजन समाचार मीडिया, जिसमें डिजिटल समाचार फ़ीड शामिल हैं और अन्य डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर उपस्थिति को इसके दायरे में लाने का प्रयास किया गया है. यह आईटी अधिनियम, 2000 के अधिकारातीत प्रतीत होता है.’
एनबीए ने कहा, ‘एनबीए विनियमन की आवश्यकता की सराहना करता है लेकिन किसी भी स्थिति में पारंपरिक समाचार मीडिया को आईटी नियम 2021 के दायरे में लाने या शामिल करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह पहले से ही विभिन्न व्यवस्थाओं, कानूनों, दिशानिर्देशों और नियम एवं विनियमनों द्वारा ‘पर्याप्त रूप से विनियमित’ है.’
एनबीए ने कहा, ‘चूंकि समाचार चैनल या प्रसारक और उनकी विस्तारित डिजिटल इकाइयां लागू कानूनों और विनियमनों का पालन करते हैं और समाधान तंत्र के कई स्तरों से शासित होते हैं, यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.’
इसमें कहा गया है, ‘एनबीए पारंपरिक समाचार मीडिया के स्वामित्व वाले और उनके द्वारा चलाए जा रहे डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म को आईटी नियम, 2021 के प्रावधानों के दायरे से बाहर करने का अनुरोध करता है.’ एसोसिएशन ने मंत्रालय से आईटी नियम, 2021 को ‘स्थगित या निलंबन में’ रखने का भी आग्रह किया, विशेष रूप से एनबीए सदस्यों के संबंध में, जब तक कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में आईटी नियम, 2021 को चुनौती देने वाले लंबित मामलों पर निर्णय नहीं हो जाता है.
(उपरोक्त पोस्ट न्यूज़ 18 से ली गयी है )
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